raat ki chai

रात की चाय

रात की चाय एक सूफियाना इश्क़ की तरह है जो कभी फ्लैश बैक में ले जाती है तो कभी माथे के ऊपर सहलाने की कोशिश करती है। चाय यानी सवेरा. हमारे दिन की शुरुआत हम सूर्य उदय से नहीं बल्कि सवेरे की चाय से होती हैं. उसके बगैर मानों दिन कटना असम्भव सा लगता हैं. अपनी लवर्स के हाथों से बनी चाय या बरसात के मौसम में चाय पकोड़े अलग ही सीन बनाते हैं.
#चाय एक अनवरत चलने वाले रेस की।

कुछ इंजीनियरों को चाय से ही नशा हो जाता है।

कुछ इंजीनियरों को चाय से ही नशा हो जाता है।  सामने टेबल पर जब दो नौसिखिया इंजीनियर चाय पीते हुए नौकरी छोड़ने की बात के साथ स्टार्टअप की बात करते हैं तो उस क्षण के क्यूटनेस का कोई माप नहीं रहता है।चाय जैसे – जैसे खत्म होता है सारा बिजनेस प्लान और स्टार्टअप का भी द एंड होने लगता है।

और आप पीछे बैठ कर मंद – मंद मुस्कुराते हुए अपने दिनों को भी जीवंत करते हैं।चाय के हर घूंट के साथ फ्लैशबैक में जाते हैं,जब मामला कुछ ज्यादा गंभीर हो जाता है तो ड्राइव खोल के अपने सारे लिखे प्लान का नजारा मारते हुए खुद को भी गरियाते है और साथ ही साथ सामने वालों को भी।

ऑफिस का एक कोना

#ऑफिस का एक कोना, सामने के पॉवर प्लांट में जलती मसाल का उठता लौ, मसाल के रौशनी में दिखता पहाड़, ऊपर से गुजरता एक जहाज़, दिमाग में अनगिनत सवाल, हाथ में चाय और एक और रात का अंतिम पड़ाव!!!

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