Kya lutega jamana khushiyon ko humari
क्या लूटेगा जमाना खुशियों को हमारी, हम तो खुद अपनी खुशियाँ दूसरों पर लुटा कर जीते हैं… Kya lutega jamana…
क्या लूटेगा जमाना खुशियों को हमारी, हम तो खुद अपनी खुशियाँ दूसरों पर लुटा कर जीते हैं… Kya lutega jamana…
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई जैसे एहसां उतारता है कोई दिल में कुछ यूं संभालता हूं ग़म जैसे ज़ेवर…