टेंथ क्लास के ट्यूशन
टेंथ क्लास के ट्यूशन में ट्रिगोनोमेट्री आईडेंटिटीज का टेस्ट हुआ था,22 में से 3 लोग ही अच्छा स्कोर कर पाए थे,बाकी का खींच – तान वाला हिसाब किताब था।दो भाई – बहन भी थे उस बैच में,बहुत अच्छी और पैसे वाले फैमिली से थे,इनके पिताजी आने – जाने के लिए इनको बजाज डिस्कवर गाड़ी दिए थे,टेस्ट में इनदोनो का भी मार्क्स अच्छा नही आया था,इनके पिताजी गुस्से में इनसे गाड़ी ले लिए और साइकिल से जाने को कहे,ट्रिगोनोमेट्री आईडेंटिटीज फिर से शुरू होना था,साइकिल से आना था तो इन दोनो को उस दिन लेट हो गया,सर इंतजार कर रहे थे की ये दोनो भी आ जाए तब शुरू करें,दोनो भाई – बहन पसीने से लथपथ क्लास में घुसे,सर माजरा समझ गए और ये कहावत कहे।कुछ ऐसा था “अमीरी के कब्र पर पनपी हुई गरीबी बहुत ही जहरीली होती है” और क्लास शुरू किए।
ये एक दूसरा किस्सा है और ये भी टेंथ का ही है,ठंडी का समय था,एक शादी का इन्विटेशन आया हमारे घर।मेरा और पापा का जाना हुआ।थ्री स्टार होटल,बहुत अच्छी व्यवस्था थी,रात में हमदोनो को ठहरने के लिए एक कमरा मिला,बेड पर जो गद्दा लगा था, सात – आठ इंच जितना मोटा और स्प्रिंग वाला था,सोने के बाद गद्दा पूरा अंदर तक धस जाता था।दस बजे रूम में गए होंगे,एक बज गया, घास – पतवार पर सोने वाले हमलोगो इस गद्दे पर नींद कहा से आए, नींद ना मुझे आ रहा था ना पापा को,पापा हमसे कहे की तुम सोए नही,जल्दी सो कल निकलना भी है,मेरे मन में आया की यही सवाल आपसे पुछु!!!जैसे – तैसे रात कटा।
ये गद्दा जो सुविधा का बोध कराने के लिए लगाया गया था, ये भी हमलाेगो के लिए जहर से कम नही था।
आज ये गद्दा वाला किस्सा फिर से हमारे साथ घटित हुआ है,लेकिन इस बार चादर नीचे बिछा करके उपाय लग गया है।तब एक रात की बात थी अभी सात दिन और आठ रात की बात है,उपाय करना ही पड़ता।अन्यथा स्प्रिंग का स्टिफनेस निकालते – निकालते पीठ सीधा हो जाता।वैसे खिड़की से दूर पहाड़ के टीले का एंगल ऑफ एलिवेशन जरूर ही निकलेगा।
सुख – सुविधा में हुए तुरंत के बदलाव को पचा पाना बहुत कठिन है।