नदियों की नियति
नदियों को पर्वत से अधिक
कौन समझ पाया है,
लहरों को सागर से अधिक,
कौन समझ पाया है,
अपने संतानों को गांव से अधिक
कौन समझ पाया है,
नदियों की नियति
सागर में निहित है,
लहरों की नियति
साहिल में निहित है,
लेकिन संतानों कि मजबूरियां
शहर में निहित है,
पर्वत कभी नदियों का
मोह नहीं रखते,
समुद्र कभी लहरों का
मोह नहीं रखते,
लेकिन गांव अपने संतानों का
मोह और क्षोभ दोनों ही रखते हैं।