बचपन की दोस्ती
नवीन और विनीत बचपन से साथ में ही बड़े हुए। इन्होंने अपने सभी काम साथ में रहकर किये। साथ में ही स्कूल गये, एक क्लास में पढ़े, एक साथ ही कॉलेज जाते। इतना करते हुए उनकी पढाई पूरी हो गई और उनकी नौकरी करने का समय आ गया।
फिर दोनों ने आर्मी में जाने का निर्णय लिया और आर्मी के लिए आवेदन किया। दोनों का आर्मी में नम्बर लग गया और उनको ज्वाइन करने के लिए कहा गया। उन्होंने ज्वाइन किया तब भी उनको एक ही ग्रुप मिला और दोनों ने आर्मी की नौकरी करना शुरू हो गये।
एक बार वहां पर युद्ध का माहौल बन गया और युद्ध होना शुरू हो गया। रात का समय था चारों दिशाओं से गोलियों की बारिश हो रही थी। इस युद्ध में नवीन और विनीत भी शामिल थे।
तभी काली रात में एक तरफ से जोर-जोर से आवाज आने लगी। नवीन कहां हो, मेरी मदद करो, मैं मुश्किल में हूं, मुझे मदद की जरूरत है? नवीन ने तुरंत ही विनीत की आवाज को पहचान लिया और उसने नवीन की मदद करने की सोची। उसने अपने कैप्टन से विनीत की मदद करने जाने के लिए इजाजत मांगी।
कैप्टन ने तुरंत मना कर दिया कि तुम वहां नहीं जाओगे। हमारी सेना के पहले ही काफी सैनिक मारे जा चुके हैं और मैं और सैनिकों को कम होने नहीं दूंगा। इतना सुनने के बाद नवीन शांत बैठ गया। फिर वहीं विनीत की आवाजे सुनाई देती और नवीन अपने कैप्टन से इजाजत मांगता और इजाजत नहीं दी जाती। फिर अंत में नवीन ने कैप्टन से कहा कि विनीत मेरा बचपन का दोस्त है और हम दोनों साथ में खेले है और साथ में ही बड़े हुए है। आज उसको मेरी जरूरत है और मैं यहां पर शांति से बैठा हूं। मुझे जाने दो। मुझे उसके पास जाना है और उसे बचाना है।
कैप्टन ने इतना सुनने के बाद नवीन को विनीत के पास जाने की इजाजत दे दी। फिर नवीन उन गोलियों की बारिश में अपनी जान की चिंता किये बिना ही विनीत के पास पहुंच गया और फिर वहां से विनीत को घसीट कर सुरक्षित स्थान पर ले आया। वहां पर सभी सैनिक और कैप्टन मौजूद थे। जब वहां पर नवीन विनीत को लेकर पहुंचा तो विनीत की जान निकल चुकी थी। (Heart Touching Story)
फिर कैप्टन ने नवीन को जोर से चिल्लाते हुए कहा मैंने मना किया था ना कि वो मर चुका है। वहां पर जाकर अपनी जान जोखिम में मत डालो। तभी नवीन ने कहा जब मैं विनीत के पास पहुंच तो वो जिन्दा था और मेरा ही इंतजार कर रहा था। विनीत ने मुझे ये भी कहा कि मुझे पूरा भरोसा और विश्वास था कि तुम जरूर मुझे बचाने आओगे और तुम आ गये।